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हमारे बारे में


कंपनी के बारे में

कोल इण्डिया लिमिटेड (सीआईएल) राज्य के स्वामित्व वाली कोयला खनन कंपनी नवंबर 1975 में अस्तित्व में आई। अपनी स्थापना के वर्ष में 79 मिलियन टन (एमटी) का साधारण उत्पादन करने वाली सीआईएल, आज दुनिया की सबसे बड़ी कोयला उत्पादक और 239210 (1 अप्रैल, 2023 तक) की जनशक्ति के साथ सबसे बड़े कॉर्पोरेट नियोक्ता में से एक है। सी आई एल भारत के आठ (8) राज्यों में विस्तृत 83 खनन क्षेत्रों में अपनी अनुषंगी कंपनियों के माध्यम से कार्य करती है। कोल इण्डिया लिमिटेड की 322 (1 अप्रैल 2023 तक) खदानें हैं जिनमें से 138 भूमिगत, 171 खुली खदानें और 13 मिश्रित खदानें हैं और यह कार्यशालाओं, अस्पतालों आदि जैसे अन्य संस्थानों का भी प्रबंधन करती है। सी आई एल में 21 प्रशिक्षण संस्थान और 76 व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्र हैं। भारतीय कोयला प्रबंधन संस्थान (आई आई सी एम) एक अत्याधुनिक प्रबंधन प्रशिक्षण 'उत्कृष्टता केंद्र' के रूप में - भारत में सबसे बड़ा कॉर्पोरेट प्रशिक्षण संस्थान – सी आई एल के अधीन संचालित होता है जो बहु-विषयक कार्यक्रम संचालित करता है।

सीआईएल एक महारत्न कंपनी - राज्य के स्वामित्व वाले उद्यमों का परिचालन विस्तार एवं वैश्विक दिग्गज के रूप में उभरने हेतु भारत सरकार द्वारा विशेषाधिकार प्राप्त निकाय है। यह देश के तीन सौ से अधिक केंद्रीय सार्वजनिक उद्यमों की श्रेणी में शामिल कुछ चुनिंदा दस उद्यमों मे से एक है।

सी आई एल की पूर्ण स्वामित्व वाली ग्यारह भारतीय अनुषंगी कंपनियां, जिसमें ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (ईसीएल), भारत कोकिंग कोल लिमिटेड (बीसीसीएल), सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड (सीसीएल), वेस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (डब्ल्यूसीएल), साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल), नॉर्दर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एनसीएल), महानदी कोलफील्ड्स लिमिटेड (एमसीएल), सेंट्रल माइन प्लानिंग एंड डिजाइन इंस्टीट्यूट लिमिटेड (सीएमपीडीआईएल), गैर-पारंपरिक/स्वच्छ और नवकरणीय ऊर्जा के विकास के लिए सी आई एल नवकरणीय ऊर्जा लिमिटेड तथा सौर फोटोवोल्टिक मॉड्यूल के विकास के लिए सीआईएल सोलर पीवी लिमिटेड कार्यरत है। सीआईएल की मोजाम्बिक में कोल इण्डिया अफ्रीकाना लिमिटाडा (सीआईएएल) नामक एक विदेशी अनुषंगी कंपनी है। इसके अलावा सीआईएल की पांच संयुक्त उद्यम कंपनियां - हिंदुस्तान उर्वरक और रसायन लिमिटेड, तालचेर फर्टिलाइजर्स लिमिटेड, सीआईएल एनटीपीसी ऊर्जा प्राइवेट लिमिटेड, कोल लिग्नाइट ऊर्जा विकास प्राइवेट लिमिटेड और इंटरनेशनल कोल वेंचर प्राइवेट लिमिटेड हैं ।

असम की खदानों अर्थात नॉर्थ ईस्टर्न कोलफील्ड्स (एनईसी) का प्रबंधन प्रत्यक्ष रुप से सी आई एल द्वारा किया जाता है।

महानदी कोलफील्ड्स लिमिटेड कोल इण्डिया लिमिटेड की एक अनुषंगी कंपनी की चार (4) अनुषंगी कंपनियां, एस ई सी एल की दो (2) अनुषंगी कंपनियां तथा सी सी एल की एक (1) अनुषंगी कंपनी है।

अतुलनीय कार्यनीति प्रासंगिकता:

सीआईएल देश मे उत्पादित कुल कोयला उत्पादन का 85% तथा कोयला आधारित कुल उत्पादन का 75% योगदान देता है। सीआईएल कुल बिजली उत्पादन में 55% का योगदान देता है और देश की प्राथमिक वाणिज्यिक ऊर्जा आवश्यकताओं में 40% की आपूर्ति करता है। "मेक इन इण्डिया" तथा भारत को विश्व स्तर पर मजबूत प्रतिस्पर्धी बनाने में सीआईएल महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है ।

उत्पादन और विकास:

सीआईएल ने 12.94% की वृद्धि दर्ज करते हुए 703.21 मिलियन टन के सर्वाधिक उत्पादन आंकड़े के साथ वर्ष का समापन किया है, वहीं 2021-22 की तुलना में 5% की वृद्धि दर्ज करते हुए 32.80 मिलियन टन की भारी बढोत्तरी के साथ अब तक का सर्वश्रेष्ठ 694.69 मिलियन टन का प्रेषण, तथा 21.77% की वृद्धि दर्ज करते हुए सर्वाधिक 1658.627 एमसीयूम पर ओवरबर्डन रिमूवल (ओबीआर) किया गया है|

एमसीएल ने 193.26 मिलियन टन के उच्चतम कोयला उत्पादन के साथ अनुषंगी कंपनियों में अपना नंबर एक स्थान बरकरार रखा है। सीआईएल की पांच कोयला उत्पादक अनुषंगी कंपनियां बीसीसीएल (113%), एमसीएल (110%), एनसीएल (108%), डब्ल्यूसीएल (104%), और सीसीएल (100%) 2022-23 ने अपने-अपने उत्पादन लक्ष्य को पार किया हैं।

कच्चे कोयले का उठाव 2021-22 के दौरान 661.89 मिलियन टन की तुलना में 2022-23 में 694.69 मिलियन टन (एमटी) के अपने उच्चतम स्तर पर रहा है। 2022-23 में ऑफटेक ने 2021-22 की तुलना में 5% की वृद्धि दर्ज करते हुए ऑफटेक और वैगन लोडिंग निष्पादन के सभी पिछले रिकॉर्ड ध्वस्त कर दिए।

परियोजनाएं:

वर्तमान में 928.7 एमटीवाई की वार्षिक क्षमता वाली 117 खनन परियोजनाएं चल रही हैं, जिन्होंने वर्ष 2022-23 में 501 मिलियन टन का योगदान दिया है।

वित्त वर्ष 22-23 में 140.30 मिलियन टन की वृद्धिशील क्षमता के साथ 24 खनन परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है। इन परियोजनाओं से वित्त वर्ष 2025-26 तक सीआईएल के कोयला उत्पादन को 1 बिलियन टन तक बढ़ाने के लिए अतिरिक्त उत्पादन में योगदान करने की अपेक्षा है|

उपभोक्ता संतुष्टि:

सीआईएल के लिए उपभोक्ता संतुष्टि एक प्राथमिकता वाला क्षेत्र रहा है जिसमें वृद्धि हेतु खदान से प्रेषण बिंदु तक कोयले के गुणवत्ता प्रबंधन पर विशेष जोर दिया गया है। सीआईएल के सभी उपभोक्ताओं के लिए स्वतंत्र तृतीय-पक्ष नमूना एजेंसियों के द्वारा गुणवत्ता मूल्यांकन का विकल्प खुला हुआ है। गुणवत्ता अनुरक्षण की दिशा में किए गए सजग तथा निरंतर उपायों के परिणामस्वरूप, कोयले के घोषित और विश्लेषित जीसीवी के भारित औसत के बीच का अंतर एक जी सी वी बैंड के भीतर है।

जमीनी स्तर पर लोगों के जीवन में परिवर्तन/बदलाव लाना

विश्व के अन्य देशों के विपरीत, भारत का कोयला भंडार ज्यादातर वन भूमि क्षेत्र और आदिवासी आबादी वाले क्षेत्रों में स्थित हैं। कोयला खनन करने के लिए लोगों को अनिवार्य रूप से विस्थापित करना पड़ता है, परंतु सीआईएल ने परियोजना से प्रभावित लोगों के लिए अच्छे से संरचित की गई पुनर्वास और पुनःस्थापन की नीति अपनाई है। कंपनी द्वारा ‘मानवीय आधार पर खनन' की प्रक्रिया को अपनाया गया है जिसमें सामाजिक रूप से स्थायी समावेशी विकास मॉडल के तहत आजीविका संबंधी निर्णय लेने की प्रक्रिया में परियोजना प्रभावित लोगों को हितधारक बनाया जाता है।

कॉर्पोरेट नागरिक:

सीआईएल सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में सबसे अधिक सीएसआर पर खर्च करने वालों में से एक है। कंपनी द्वारा किए गए सीएसआर गतिविधियों में शिक्षा, स्वास्थ्य सुरक्षा, महिला सशक्तिकरण, कौशल विकास, खेल आदि शामिल हैं। सीआईएल और इसकी अनुषंगी कंपनियों ने 2022-23 के दौरान सीएसआर गतिविधियों पर 586.50 करोड़ रुपये खर्च किए हैं।

कोयला परिष्करण

वर्तमान में सीआईएल 24.94 एमटीवाई की कुल परिचालन योग्य परिष्करण क्षमता के साथ 13 कोयला वाशरियां चला रही है। इनमें से 11 कोकिंग कोल वाशरी हैं और शेष 2 गैर-कोकिंग हैं, जिनकी क्रमशः 13.94 एमटीवाई और 11 एमटीवाई की परिचालन क्षमता है। 2022-23 के दौरान मौजूदा कोकिंग कोल वाशरी से कुल परिष्कृत कोयले का उत्पादन लगभग 2.152 मिलियन टन रहा, जिसमें 2021-22 की तुलना में 33.7% से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई। कोकिंग कोयले की परिष्करण क्षमता को बढ़ाने के लिए, सीआईएल बीसीसीएल में 3 नई वाशरी स्थापित कर रही है, जिनकी कुल क्षमता 7 एमटीवाई है। इनमें से, 2 निर्माणाधीन (4.5 एमटीवाई) हैं और एक (2.50 एम टी वाई) के लिए एल ओ आई जारी किया गया है। इसके अतिरिक्त, सीसीएल में 14.5 एम टी वाई की कुल क्षमता वाली 5 कोकिंग कोल वाशरी भी स्थापित की जा रही हैं। इन 5 वॉशरीज में से दो के लिए एल ओ आई जारी कर दिए गए हैं।

पर्यावरण संरक्षण /पर्यावरण प्रबंधन

दो वर्ष की अवधि में खनन क्षेत्रों को हरित करते हुए, सीआईएल ने अपने खनन क्षेत्रों में वृक्षारोपण वित्त वर्ष 2022 में 1,468 हेक्टेयर की तुलना में वित्त वर्ष 22-23 में लगभग दोगुना बढ़ाकर 1613.39 हेक्टेयर (हेक्टेयर) किया है। वित्त वर्ष के दौरान सीआईएल ने 31.01 लाख से अधिक पौधे लगाए हैं। सीआईएल ने 107% उपलब्धि हासिल करते हुए 2022-23 के 1,510 हेक्टेयर लक्ष्य को पार किया है। बढ़ते हुए वृक्षारोपण ने प्रति वर्ष लगभग 81,000 टन कार्बन सिंक क्षमता उत्पन्न करने में मदद की है। स्थानीय पर्यटन को बढ़ावा देने तथा खनन क्षेत्रों में संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए पुनर्ग्रहण के भाग के रूप में इको-पार्क का निर्माण, सीआईएल अपनी परित्यक्त खदानों को इको-पार्क में परिवर्तित कर रहा है। ये इको-टूरिज्म पॉइंट के रूप में लोकप्रिय हो गए हैं। सीआईएल की सहायक कंपनियों ने वर्ष के दौरान 5.67 करोड़ रुपये के बजट के साथ 41 हेक्टेयर क्षेत्र में 3 इको-पार्क विकसित किए हैं। कुल मिलाकर ऐसे 30 इको-पार्क पहले से ही लगातार लोगों को आकर्षित कर रहे हैं। खनन क्षेत्रों में अधिक इको पार्क, इकोटूरिज्म स्थल और इको-पुनर्स्थापना स्थल के निर्माण की योजनाएँ चल रही हैं।

सी आई एल मुख्यालय ने 2022 में भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) से गुणवत्ता प्रबंधन, पर्यावरण प्रबंधन और ऊर्जा प्रबंधन प्रणाली के लिए क्रमशः आईएसओ 9001:2015, आईएसओ 14001:2015 और आईएसओ 50001:2018 का पुन: प्रमाणन प्राप्त किया, जिसकी वैधता अक्टूबर, 2025 तक है। 31 मार्च 2023 तक, ईसीएल, एनसीएल, एमसीएल, सी सी एल (27 इकाइयां) और डब्ल्यू सी एल (83 इकाइयां) एकीकृत प्रबंधन प्रणाली (आईएसओ 9001:2015, आईएसओ 14001:2015 और ओएचएसएएस 18001:2017) के लिए प्रमाणित हैं। सीएमपीडीआई मुख्यालय और इसके सात आरआई आईएसओ 9001:2015 से प्रमाणित हैं। इसके अलावा, सीएमपीडीआईएल मुख्यालय, रांची को आईएसओ 37001:2016 (रिश्वत-रोधी प्रबंधन प्रणाली) से प्रमाणित किया गया है।

ऊर्जा संरक्षण

ऊर्जा संरक्षण सीआईएल का एक प्राथमिकता वाला क्षेत्र है तथा विशिष्ट ऊर्जा खपत में कमी की दिशा में विभिन्न उपाय किए जाते हैं। खदान तथा भूमिगत खदानों मे विद्युत प्रकाश लाइट, स्ट्रीट लाइटिंग, कार्यालय और अन्य कार्यस्थलों, टाउनशिप आदि के लिए अधिकांश स्थानों में उच्च वाट क्षमता वाले प्रकाशमान / पारंपरिक प्रकाश फिटिंग को उचित वाट क्षमता के कम बिजली की खपत वाले एलईडी के साथ बदला गया है, इसके परिणामस्वरूप बिजली की खपत में भारी बचत हुई है, बिजली की खपत में सीआईएल की विभिन्न सहायक कंपनियों में 18626 उच्च ऊर्जा कुशल सुपर पंखे लगाए गए हैं। सीआईएल सहायक कंपनियों में विभिन्न स्थानों पर 625 ऊर्जा कुशल वॉटर हीटर स्थापित किए गए हैं, और सीआईएल सहायक कंपनियों में विभिन्न स्थानों पर स्ट्रीट लाइट में 1016 ऑटो टाइमर स्थापित किए गए हैं। सहायक कंपनियों के लगभग सभी क्षेत्रों ने उपयुक्त केवीएआर रेटिंग के कैपेसिटर बैंक स्थापित करके 2022-23 के दौरान पावर फैक्टर 0.90 से 0.99 बनाए रखा है।

ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोत के रूप में सौर ऊर्जा का प्रयोग करने हेतु विभिन्न कदम उठाए गए हैं जैसे कि किलो-वाट स्केल में रूफटॉप सोलर प्लांट सफल प्रचालनरत हैं। 2022-23 के दौरान अतिरिक्त 3.393 एम डब्ल्यू पी रूफटॉप सौर क्षमता जोड़ी गई है।

अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में प्रवेश: परिचालनों से कार्बन उत्सर्जन में कमी लाना

सौर ऊर्जा उत्पादन:

सीआईएल और अनुषंगी कंपनियां नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का उपयोग कर रही हैं। 2022-23 में अनुषंगी-वार सौर ऊर्जा उत्पादन निम्नानुसार है:

Subsidiary Solar Power Capacity (kWp) Total Power Generation (KWH) [during the period 01.04.2022 to 31.03.2023]
CCL 1245.0 819108
ECL 1046.0 712075
MCL 3149.7 2065849
SECL 580.0 121646
WCL 1997.0 1174908
BCCL 1550.0 785025
NCL 470.0 288999
CMPDIL 1020.0 787650
CIL HQ 160.0 81057
Total 11217.7 6836317

2022-23 के दौरान कुल सौर ऊर्जा 68.36 लाख यूनिट उत्पादित हुई।

कार्बन तटस्थता की उपलब्धि की ओर अग्रसर:

ऊर्जा दक्षता उपायों के कार्यान्वयन के कारण, 2022-23 में लगभग 52.10 मिलियन यूनिट विद्युत ऊर्जा की बचत हुई है, जिसके परिणामस्वरूप प्रति वर्ष 42275 टन (लगभग) कार्बन डाइऑक्साइड में कमी होगी। इसी प्रकार, 2022-23 के दौरान सीआईएल की 10 खानों में ऊर्जा लेखापरीक्षा की गई, और 13.531 मिलियन यूनिट विद्युत ऊर्जा की बचत देखी गई, इसके परिणामस्वरूप कार्बन डाइऑक्साइड में 11095 टन/वाई (लगभग) की कमी आएगी। सौर ऊर्जा उत्पादन के परिणामस्वरूप कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में प्रति वर्ष 5606 टन (लगभग) की कमी आई है।

उधम संसाधन योजना (ईआरपी):

सीआईएल ने अपने परिचालन में संसाधन उपयोग को अनुकूलित करने और निगरानी में सुधार करने के लिए उधम संसाधन योजना (ईआरपी) को सफलतापूर्वक लागू किया है। इस कार्यान्वयन से कर्मचारियों, विक्रेताओं और ग्राहकों सहित विभिन्न हितधारकों के साथ वास्तविक समय पर जानकारी साझा करने की सुविधा मिली है। ईआरपी सिस्टम के माध्यम से, सीआईएल ने एक सुदृढ़ निगरानी प्रणाली स्थापित की है जो पर्यावरणीय मंजूरी, वन मंजूरी, भूमि अधिग्रहण और कब्जे से संबंधित प्रमुख प्रदर्शन संकेतकों पर समय पर अपडेट प्रदान करती है। यह प्रणाली खनन परियोजनाओं के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह नियामक आवश्यकताओं के अनुपालन को सुनिश्चित करती है। इसके अतिरिक्त, ईआरपी प्रणाली के माध्यम से उत्पन्न रिपोर्ट के आधार पर प्रमुख बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए ठेकेदार के प्रदर्शन की नियमित रूप से समीक्षा की जाती है।

सभी कार्य धाराओं में प्रगति को प्रभावी ढंग से ट्रैक करने के लिए, सीआईएल ने ईआरपी के प्रोजेक्ट सिस्टम (पीएस) मॉड्यूल का लाभ उठाया है। यह मॉड्यूल समय-समय पर वैधानिक मंजूरी, भूमि, पुनर्वास और पुनर्स्थापना (आर एंड आर), बुनियादी ढांचे और अन्य परियोजना से संबंधित पहलुओं से संबंधित जानकारी को बनाए रखता है और अद्यतन करता है। यह शेड्यूल मॉनिटरिंग प्रक्रिया बाधाओं की पहचान करने, परस्परता का विश्लेषण करने और परियोजना कार्यान्वयन में तेजी लाने के लिए आवश्यक महत्वपूर्ण कार्रवाईयों को निर्धारित करने में मदद करती है। सिस्टम के भीतर ईआरपी डैशबोर्ड वास्तविक समय में प्रोजेक्ट से प्राप्त कार्रवाई योग्य जानकारी प्रदर्शित करते हैं। ये डैशबोर्ड वरिष्ठ प्रबंधन को नवीनतम परियोजना अपडेट और प्रदर्शन मेट्रिक्स के आधार पर तेजी से निर्णय लेने में सक्षम बनाते हैं।

विविधीकरण कार्यनीति: रसायन एवं उर्वरक क्षेत्र तथा नवीन व्यवसाय कार्यक्षेत्र

कोल इण्डिया लिमिटेड सौर ऊर्जा उत्पादन, उर्वरक संयंत्रों का पुनरुद्धार, ताप विद्युत उत्पादन और सीबीएम में विविधता ला रहा है।

परियोजना निगरानी में प्रणालीगत सुधार:

सीआईएल वर्तमान में खनन, वाशरी, निकासी परियोजनाएँ आदि से लेकर अन्य विभिन्न प्रकार की परियोजनाओं में कार्यरत है। ऐसी परियोजनाओं का सुचारू रूप से कार्य सुनिश्चित करने के लिए सीआईएल कई परिष्कृत परियोजना प्रबंधन तंत्रों के माध्यम से चल रही प्रगति की लगातार निगरानी कर रहा है।

सीआइएल की सुरक्षा नीति

सीआईएल के संचालन में सुरक्षा को प्रमुख महत्व दिया गया है जैसा कि सीआईएल के मिशन वक्तव्य में विवरित है। खदानों में सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सीआईएल में एक सुस्पष्ट सुरक्षा नीति है।

फर्स्ट माइल कनेक्टिविटी

कोल इण्डिया लिमिटेड कोयले के मौजूदा सड़क परिवहन को कम करते हुए 2023-24 तक अपनी वृह्द खदानों में कन्वेयर बेल्ट के माध्यम से मशीनीकृत कोयला परिवहन पर स्विच करेगा। 2028-29 तक इकसठ एफएमसी परियोजनाओं को तीन चरणों में परिचालित करने की योजना है, वित्त वर्ष 28-29 तक मशीनीकृत कन्वेयर सिस्टम और सी आई एल की कम्प्यूटरीकृत रैपिड लोडिंग क्षमता को मौजूदा 151 एमटीपीए से बढ़ाकर 914.5 एमटीपीए करना है।

यह कदम पर्यावरण सुरक्षा को बढ़ावा देता है और कोयले की संभावित चोरी को रोकता है। इससे कोयले की मशीनीकृत लोडिंग भी होगी जिससे डीजल लागत में बचत, कोयले की दलन और आकार बदलने, त्वरित तथा गुणवत्तापूर्ण कम्प्यूटरीकृत प्री-वेट कोयले की लोडिंग जैसे लाभ होंगे।

भविष्य परिदृश्य

सीआईएल राष्ट्र की ऊर्जा सुरक्षा हासिल करने में प्रमुख भूमिका निभाने के लिए प्रतिबद्ध है। 'विजन 2024' के अधीन देश में कोयला क्षेत्र से मांग के आकलन के आधार पर सीआईएल द्वारा मांग की आपूर्ति हेतु एक रोडमैप तैयार किया गया है जिसमें सीआईएल ने देश की कोयले की मांग को पूरा करने के लिए वर्ष 2025-26 में 1 बिलियन टन (बीटी) उत्पादन की परिकल्पना की है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, सीआईएल ने आवश्यक सभी संसाधनों को चिन्हित कर लिया है, जिसमें मुख्य परियोजनाएँ शामिल हैं जो 1 बिलियन टन उत्पादन योजना में योगदान करेंगी।