
कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) राज्य के स्वामित्व वाली कोयला खनन निगम नवंबर, 1975 को अस्तित्व में आया । अपनी स्थापना के वर्ष में 79 मिलियन टन (एमटी) का साधारण उत्पादन करने वाला कोल इण्डिया लिमिटेड आज दुनिया का सबसे बड़ा कोयला उत्पादक तथा 2,48,550 (1 अप्रैल, 2022 के अनुसार) की जनशक्ति के साथ सबसे बड़े कॉर्पोरेट नियोक्ता में से एक है। भारत के आठ (8) राज्यों में फैला सीआईएल, अपनी अनुषंगी कंपनियों के 84 खनन क्षेत्रों में माध्यम से प्रचालनरत है । कोल इंडिया लिमिटेड की 318 खदानें (1 अप्रैल, 2022 के अनुसार), जिनमें से 141 भूमिगत, 158 खुली खदानें और 19 मिश्रित खदानें हैं तथा सीआईएल अन्य संस्थान यथा- कार्यशालाएं, प्रशिक्षण केंद्र, अस्पतालों आदि का भी संचालन करता हैं। सीआईएल के 21 प्रशिक्षण संस्थान और 76 व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्र भी हैं। भारतीय कोयला प्रबंधन संस्थान (आईआईसीएम) अत्याधुनिक प्रबंधन प्रशिक्षण का एक सर्वोत्कृष्ट केंद्र है, जो भारत का सबसे बड़ा कॉर्पोरेट प्रशिक्षण संस्थान है तथा सीआईएल के अधीन संचालित है, जो विभिन्न विषयों पर आधारित प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन करता है।
सीआईएल एक महारत्न कंपनी - राज्य के स्वामित्व वाले उद्यमों का परिचालन विस्तार एवं वैश्विक दिग्गज के रूप में उभरने हेतु भारत सरकार द्वारा विशेषाधिकार प्राप्त निकाय है। यह देश के तीन सौ से अधिक केंद्रीय सार्वजनिक उद्यमों की श्रेणी में शामिल कुछ चुनिंदा दस उद्धमों मे से एक है ।
सीआईएल की पूर्ण स्वामित्व वाली दस भारतीय अनुषंगी कंपनियां, जिसमें ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (ईसीएल), भारत कोकिंग कोल लिमिटेड (बीसीसीएल), सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड (सीसीएल), वेस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (डब्ल्यूसीएल), साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल), नॉर्दर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एनसीएल), महानदी कोलफील्ड्स लिमिटेड (एमसीएल), सेंट्रल माइन प्लानिंग एंड डिजाइन इंस्टीट्यूट लिमिटेड (सीएमपीडीआईएल), गैर-पारंपरिक/स्वच्छ और नवकरणीय ऊर्जा के विकास के लिए सीआईएल नवकरणीय ऊर्जा लिमिटेड तथा सौर फोटोवोल्टिक मॉड्यूल के विकास के लिए सीआईएल सोलर पीवी लिमिटेड कार्यरत है ।
इसके अलावा, सीआईएल की मोजाम्बिक में एक विदेशी अनुषंगी कंपनी, कोल इंडिया अफ्रीकाना लिमिटाडा (सीआईएएल) है।
इसके अलावा सीआईएल की चार और संयुक्त उद्यम कंपनियां - हिंदुस्तान उर्वरक और रसायन लिमिटेड, तालचेर फर्टिलाइजर्स लिमिटेड, सीआईएल एनटीपीसी ऊर्जा प्राइवेट लिमिटेड तथा कोल लिग्नाइट ऊर्जा विकास प्राइवेट लिमिटेड है ।
असम की खदानों अर्थात नॉर्थ ईस्टर्न कोलफील्ड्स (एनईसी) का प्रबंधन प्रत्यक्ष रुप से सीआईएल द्वारा किया जाता है।
कोल इंडिया लिमिटेड की अनुषंगी कंपनी महानदी कोलफील्ड्स लिमिटेड की चार (4) अनुषंगी कंपनियां, एसईसीएल की दो (2) अनुषंगी कंपनियां तथा सीसीएल की एक (1) अनुषंगी कंपनी है।
अतुलनीय कार्यनीति प्रासंगिकता:
सीआईएल देश मे उत्पादित कुल कोयला उत्पादन का 85% तथा कोयला आधारित कुल उत्पादन का 75% योगदान देता है। सीआईएल कुल बिजली उत्पादन में 55% का योगदान देता है और देश की प्राथमिक वाणिज्यिक ऊर्जा आवश्यकताओं में 40% की आपूर्ति करता है। एशिया की सबसे बड़ी ओपन कास्ट कोयला खदान गेवरा मे स्थित है जो 45 मिलियन टन प्रतिवर्ष कोयला का उत्पादन करती है जिसका संचालन सीआईएल द्वारा किया जाता है । "मेक इन इंडिया" तथा भारत को विश्व स्तर पर मजबूत प्रतिस्पर्धी बनाने में सीआईएल महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है ।
उत्पादन और विकास:
सीआईएल ने 4.4% की वृद्धि दर्ज करते हुए 622.63 मिलियन टन का अब तक का सर्वश्रेष्ठ उत्पादन आंकड़े, 15.2% की क्रमिक वृद्धि दर्ज करते हुए 661.9 मिलियन टन का अब तक का उच्चतम उठाव तथा 1.6% की वृद्धि दर्ज करते हुए 1366 एमसीयूएम का अब तक का उच्चतम अधिभार निकासी (ओबीआर) के कीर्तिमान के साथ वर्षांत किया है ।
एमसीएल 150 मिलियन टन कोयला उत्पादक कंपनियों के विशेष क्लब में शामिल होने वाली सीआईएल की दूसरी अनुषंगी कंपनी बनी । बीसीसीएल, एनसीएल और एमसीएल ने विगत वर्ष की तुलना में क्रमशः 24%, 6% और 14% की वृद्धि के साथ वित्त वर्ष 22 के अपने-अपने उत्पादन लक्ष्य हासिल किए है ।
2021-22 के दौरान कोयला और कोयला उत्पादों का प्रेषण 662.566 मिलियन टन रहा है तथा बिजली उपयोगिताओं (विशेष फॉरवर्ड ई-नीलामी सहित) को प्रेषण 540.571 मिलियन टन हुआ है। बिजली घरों में कुल कोयला स्टॉक 25.627 मिलियन टन (28 दिन) 31.3.2022 तक रहा है ।
परियोजनाएं:
915.36 मिलियन टन की वार्षिक क्षमता वाली 116 खनन परियोजनाएं चालू हैं, जिन्होंने वर्ष 2021-22 में 456.28 मिलियन टन का उत्पादन किया है । इसके अलावा, 379.25 मिलियन टन की वार्षिक क्षमता वाली 161 पूर्ण खनन परियोजनाएं हैं।
वित्त वर्ष 20-21 और वित्त वर्ष 21-22 में 52 नई खनन परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है। वित्त वर्ष 2024-25 तक सीआईएल के कुल कोयला उत्पादन को बढ़ाकर 1 बिलियन टन करने के लक्ष्य के अंतर्गत इन परियोजनाओं से वित्त वर्ष 24-25 में 102 मिलियन टन अतिरिक्त उत्पादन प्राप्त करने की उम्मीद है।
उपभोक्ता संतुष्टि:
सीआईएल के लिए उपभोक्ता संतुष्टि एक प्राथमिकता वाला क्षेत्र रहा है जिसमें वृद्धि हेतु खदान से प्रेषण बिंदु तक कोयले के गुणवत्ता प्रबंधन पर विशेष जोर दिया गया है। सीआईएल के सभी उपभोक्ताओं के लिए स्वतंत्र तृतीय-पक्ष नमूना एजेंसियों के द्वारा गुणवत्ता मूल्यांकन का विकल्प खुला हुआ है। गुणवत्ता अनुरक्षण की दिशा में किए गए सजग तथा निरंतर उपायों के परिणामस्वरूप, कोयले के घोषित और विश्लेषित जीसीवी के भारित औसत के बीच का अंतर एक जीसीवी बैंड के भीतर है ।
जमीनी स्तर पर लोगों के जीवन में परिवर्तन/बदलाव लाना
विश्व के अन्य देशों के विपरीत, भारत का कोयला भंडार ज्यादातर वन भूमि क्षेत्र और आदिवासी आबादी वाले क्षेत्रों में स्थित हैं। कोयला खनन करने के लिए लोगों को अनिवार्य रूप से विस्थापित करना पड़ता है, परंतु सीआईएल ने परियोजना से प्रभावित लोगों के लिए संरचित पुनर्वास और पुनःस्थापन की नीति अपनाई है।
कंपनी द्वारा ‘मानवीय आधार पर खनन' की प्रक्रिया को अपनाया गया है जिसमें सामाजिक रूप से स्थायी समावेशी विकास मॉडल के तहत आजीविका संबंधी निर्णय लेने की प्रक्रिया में परियोजना प्रभावित लोगों को हितधारक बनाया जाता है ।
कॉर्पोरेट नागरिक:
सीआईएल सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में सबसे अधिक सीएसआर पर खर्च करने वालों में से एक है। कंपनी द्वारा किए गए सीएसआर गतिविधियों में शिक्षा, स्वास्थ्य सुरक्षा, महिला सशक्तिकरण, कौशल विकास, खेल आदि शामिल हैं। सीआईएल और इसकी अनुषंगी कंपनियों ने 31.3.2022 तक सीएसआर गतिविधियों पर 548.9 करोड़ रुपये खर्च किए हैं।
उत्पादन वृद्धि हेतु प्रौद्योगिकी पहल:
सीआईएल ने अपनी कुल परिचालन गतिविधियों में विभिन्न क्षेत्रों में कई तकनीकी पहल की है। भूमिगत खनन में, कई खानों में वृह्द स्तर पर उत्पादन तकनीक की शुरुआत की गई है, जैसे कि कंटीन्यूअस माइनर टेक्नोलॉजी और लॉन्ग-वॉल माइनिंग। भूमिगत खदानों में कर्मचारियों और सामग्रियों के परिवहन के लिए स्टीयरिंग मुक्त वाहन शुरु किए गए हैं। खनिकों की कठिनाईपूर्ण पैदल यात्रा को कम करने के लिए सीआईएल की विभिन्न अनुषंगी कंपनियों की 63 भूमिगत खदानों में मैन-राइडिंग योजनाएं शुरु की हैं।
माइन प्लानिंग के लिए जियोविया माइनेक्स, डेटा माइन, वल्कन, कार्लसन सॉफ्टवेयर का नवीनतम संस्करण शुरु किया गया है। इससे पिट डिज़ाइन, पिट ऑप्टिमाइजेशन, संसाधनों और डंपों के शेड्यूलिंग आदि के माध्यम से सर्वोत्तम संसाधन का उपयोग तथा कोयले की चोरी और उठाईगीरी रोकने के लिए कोयला परिवहन वाहनों में जीपीएस/जीपीआरएस आधारित वाहन ट्रैकिंग सिस्टम [वीटीएस] शुरू किया गया है। आरएफआईडी, सीसीटीवी और बूम बैरियर आधारित वजन निगरानी और नियंत्रण प्रणाली शुरू की गई है । इस सिस्टम से पारदर्शिता बढ़ी है, उत्पादकता बढ़ाने के लिए पीसीडी बिट्स के साथ हाइड्रोस्टेटिक ड्रिल शुरू की गई है। न्यूमेरिकल मॉडलिंग सॉफ्टवेयर (एफएलएसी 3डी) को अनुसंधान एवं विकास परियोजना के तहत क्रय तथा उन्नत किया गया है जिसमें नियमित रूप से स्टार्टा नियंत्रण से जुड़े वैज्ञानिक अध्ययनों के लिए इसका इस्तेमाल किया जा रहा है। भूमिगत खदानों में वेंटिलेशन योजना के लिए वेंटसिम (VENTSIM) सॉफ्टवेयर का प्रयोग किया गया है । ड्रिलिंग और ब्लास्टिंग को खत्म करने और चयनात्मक खनन को सुविधाजनक बनाने के लिए सीआईएल की कई खुली खदानों में 41 विभागीय भूतल खनिक कार्य कर रहे हैं। एसईसीएल की शारदा ओपनकास्ट खदान में हाई वॉल टेक्नोलॉजी को सफलतापूर्वक शुरु किया गया है।
पर्यावरण संरक्षण /पर्यावरण प्रबंधन
कोयला खनन आमतौर पर प्राकृतिक संसाधनों के क्षति से जुड़ा होता है और कोयला खनन से पर्यावरण संबंधी चुनौतियां एक ज्ञात तथ्य हैं। एक जिम्मेदार कॉर्पोरेट होने के नाते कोल इंडिया खनन के लिए एक समग्र दृष्टिकोण का पालन करता है और स्थायी कोयला खनन प्रथाओं का पालन करता है। पर्यावरणीय क्षति को कम करने के लिए एक अवधारणात्मक ढांचा मौजूद है। पर्यावरण के समस्याओं के समाधान के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।
सीआईएल लगातार पर्यावरण के साथ तालमेल बढ़ाने तथा व्यवहार्य कोयला खनन को आगे बढ़ाने के अपने दायित्व के प्रति समर्पित है । कोल इंडिया द्वारा प्रतिवर्ष ओबी डंपों पर, सड़कों के किनारे, खदानों के आसपास, आवासीय कॉलोनियों और अन्य उपलब्ध भूमि पर व्यापक वृक्षारोपण कार्यक्रम चलाए जाते हैं। 2021-22 के दौरान 1,468 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में 30.42 लाख पौधे लगाए गए है, (खदान क्षेत्र के अंदर लगभग 1,180 हेक्टेयर और खदान क्षेत्र के बाहर 288 हेक्टेयर से अधिक) वृक्षारोपण के मामले में पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 70% की वृद्धि हुई है ।
सीआईएल, मुख्यालय ने 2019-20 में भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) से गुणवत्ता प्रबंधन, पर्यावरण प्रबंधन और ऊर्जा प्रबंधन प्रणाली के लिए क्रमशः आईएसओ 9001:2015, आईएसओ 14001:2015 और आईएसओ 50001:2018 का पुन: प्रमाणीकरण प्राप्त किया। 31 मार्च 2022 तक, सीसीएल, एनसीएल और डब्ल्यूसीएल (83 इकाइयां) एकीकृत प्रबंधन प्रणाली (आईएसओ 9001:2015, आईएसओ 14001:2015 और ओएचएसएएस 18001:2017) के लिए प्रमाणित हैं। सीएमपीडीआई मुख्यालय और इसके सात आरआई आईएसओ 9001:2015 के लिए प्रमाणित हैं, इसके अलावा, सीएमपीडीआईएल मुख्यालय, रांची को आईएसओ 37001:2016 (रिश्वत विरोधी प्रबंधन प्रणाली) से प्रमाणित किया गया है।
ऊर्जा संरक्षण
ऊर्जा संरक्षण सीआईएल का एक प्राथमिकता वाला क्षेत्र है तथा विशिष्ट ऊर्जा खपत में कमी की दिशा में विभिन्न उपाय किए जाते हैं। खदान तथा भूमिगत खदानों मे विद्युत प्रकाश लाइट, स्ट्रीट लाइटिंग, कार्यालय और अन्य कार्यस्थलों, टाउनशिप आदि के लिए अधिकांश स्थानों में उच्च वाट क्षमता वाले प्रकाशमान / पारंपरिक प्रकाश फिटिंग को उचित वाट क्षमता के कम बिजली की खपत वाले एलईडी के साथ बदला गया है, इसके परिणामस्वरूप बिजली की खपत में भारी बचत हुई है, सीआईएल की विभिन्न अनुषंगी कंपनियों में कम ऊर्जा खपत वाले पंखे लगाए गए हैं । कोल इंडिया लिमिटेड की अनुषंगियों में विभिन्न स्थानों पर ऊर्जा दक्ष वॉटर हीटर एवं और सीआईएल की अनुषंगियों में विभिन्न स्थानों पर स्ट्रीट लाइट में ऑटो टाइमर लगाए गए हैं। अनुषंगी कंपनियों के लगभग सभी क्षेत्रों ने 2021-22 के दौरान पावर फैक्टर्स को 95% या उससे अधिक स्तर तक बनाए रखा है। ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोत के रूप में सौर ऊर्जा का प्रयोग करने हेतु विभिन्न कदम उठाए गए हैं जैसे कि किलो-वाट स्केल में रूफटॉप सोलर प्लांट सफल प्रचालनरत हैं। 2021-22 के दौरान अतिरिक्त 4.279 एमडब्ल्यूपी रूफटॉप सौर क्षमता जोड़ी गई है ।
अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में प्रवेश: (परिचालनों से कार्बन उत्सर्जन में कमी लाना)
सौर ऊर्जा उत्पादन:
सीआईएल और अनुषंगी कंपनियां नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का उपयोग कर रही हैं। 2021-22 में अनुषंगी-वार सौर ऊर्जा उत्पादन निम्नानुसार है:
Subsidiary | Total Installed Solar Capacity (KWp) upto Mar 22 | Energy generated (in kWh) in 2021-22 |
---|---|---|
ECL | 1046 | 406056.50 |
BCCL | 681 | 342788.80 |
CCL | 1247.5 | 746234.00 |
WCL | 1997 | 905427.86 |
2021-22 के दौरान उत्पन्न कुल सौर ऊर्जा 40 लाख यूनिट थी ।
कार्बन तटस्थता की उपलब्धि की ओर बढ़ते कदम:
ऊर्जा दक्षता उपायों के कार्यान्वयन के कारण, 2021-22 में लगभग 31.24 मिलियन यूनिट विद्युत ऊर्जा की बचत की गई है जिसके परिणामस्वरूप 27,410 टन CO2 प्रति वर्ष (लगभग) की कमी आएगी। 2021-22 के दौरान सीआईएल की 8 खानों में ऊर्जा लेखा परीक्षा आयोजित की गई थी, और 13.273 मिलियन यूनिट विद्युत ऊर्जा की बचत की गई थी, जिसके परिणामस्वरूप कार्बन डाय ऑक्साइड में 10884 टन/प्रतिवर्ष तथा सौर ऊर्जा उत्पादन के परिणामस्वरूप कार्बन उत्सर्जन में 3280 टन/वर्ष कमी आई है।
उद्यम संसाधन योजना (ईआरपी)
सीआईएल और इसकी अनुषंगी कंपनियां एक शक्तिशाली अत्याधुनिक उद्यम संसाधन योजना और अस्पताल प्रबंधन प्रणाली को लागू करने की राह पर है। इस प्रयास का उद्देश्य व्यवसाय संचालन के सभी पहलुओं को एकल उपयोगी सरल प्रणाली में समाहित करना है जो व्यावसायिक प्रक्रियाओं और सर्वोत्तम प्रथाओं के मानकीकरण के माध्यम से सभी संगठनात्मक संसाधनों की प्रभावी रूप से योजना, प्रबंधन और सुधार करेगा। सीआईएल, एमसीएल और डब्ल्यूसीएल में पहले चरण में एसएपी ईआरपी का शुभारंभ 1 अप्रैल, 2021 से शुरू हुआ है। सीआईएल की अनुषंगी कंपनियों में (ईसीएल, बीसीसीएल, सीसीएल, सीएमपीडीआई, एसईसीएल, और एनसीएल) में दूसरे चरण का एसएपी ईआरपी का शुभारंभ अगस्त, 2021 में शुरू हुआ । पूरी परियोजना अभी स्थायिकरण के अंतिम चरण में है ।
विविधीकरण कार्यनीति: रसायन एवं उर्वरक क्षेत्र तथा नव व्यवसाय कार्यक्षेत्र
कोल इंडिया लिमिटेड एल्यूमीनियम उत्पादन, सौर ऊर्जा उत्पादन, कोयला गैसीकरण और ताप विद्युत उत्पादन के क्षेत्र में प्रवेश कर अपने उद्योग क्षेत्र में विविधता ला रहा है।
परियोजना निगरानी में प्रणाली में सुधार:
सीआईएल वर्तमान में खनन, वाशरी, निकासी परियोजनाओं आदि से लेकर कई तरह की परियोजनाओं को क्रियान्वित कर रहा है। ऐसी परियोजनाओं के सुचारू कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए, सीआईएल कई परिष्कृत परियोजना प्रबंधन तंत्रों के माध्यम से निरंतर प्रगति की निगरानी कर रहा है।
कोल इंडिया लिमिटेड की सुरक्षा नीति
सीआईएल के संचालन में सुरक्षा को प्रमुख महत्व दिया जाता है, सीआईएल के मिशन वक्तव्य / (उद्देशिका) में यह बात स्पष्ट रूप से प्रस्तुत की गई है। खानों में सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सीआईएल की एक सुपरिभाषित/सुस्पष्ट सुरक्षा नीति है ।
फर्स्ट माइल कनेक्टिविटी
कोल इंडिया लिमिटेड अपनी वृह्द खानों में मौजूदा सड़क परिवहन की जगह पाइप कन्वेयर बेल्ट के माध्यम से मशीनीकृत कोयला परिवहन पर 2023-24 तक परिवर्तित करेगा। कंपनी ने पहले ही परिवर्तन प्रक्रिया शुरू कर दी है । दो चरणों में कार्यान्वयन के लिए चौवालिस (44) परियोजनाओं की पहचान की गई है जो मशीनीकृत कोयला परिवहन और लोडिंग सिस्टम को उन्नत करेंगे। एफएमसी परियोजनाएं यंत्रीकृत निकासी को वर्तमान में 151 एमटीपीए से बढ़ाकर 622.5 एमटीपीए करने में मदद करेंगी।
चरण-I की सभी परियोजनाओं को पूरा करने का लक्ष्य वित्त वर्ष - 2024 तथा चरण- II के लिए वित्त वर्ष- 2025 तक रखा गया है। यह कदम पर्यावरणीय सुरक्षा को बढ़ावा देगा तथा संभावित कोयले की चोरी को रोकने में मदद करेगा। इससे कोयले की मशीनीकृत लोडिंग भी होगी जिससे कोयले के क्रसिंग, आकार देने, तीव्र गति से गुणवत्तापूर्ण पूर्व-भारित कोयले को लोड करने जैसे लाभ होंगे।
भविष्य परिदृश्य
सीआईएल राष्ट्र की ऊर्जा सुरक्षा हासिल करने में प्रमुख भूमिका निभाने के लिए प्रतिबद्ध है। 'विजन 2024' के अधीन देश में कोयला क्षेत्र से मांग के आकलन के आधार पर सीआईएल द्वारा मांग की आपूर्ति हेतु एक रोडमैप तैयार किया गया है जिसमें सीआईएल ने देश की कोयले की मांग को पूरा करने के लिए वर्ष 2024-25 में 1 बिलियन टन (बीटी) उत्पादन की परिकल्पना की है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, सीआईएल ने प्रमुख परियोजनाओं को चिन्हित किया है तथा इससे संबंधित समस्याओं/मुद्दों का आकलन किया है।