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हमारे बारे में


कंपनी के बारे में

कोल इण्डिया लिमिटेड (सीआईएल) राज्य के स्वामित्व वाली कोयला खनन कंपनी नवंबर 1975 में अस्तित्व में आई। अपनी स्थापना के वर्ष में 79 मिलियन टन (एमटी) का साधारण उत्पादन करने वाली सीआईएल, आज दुनिया की सबसे बड़ी कोयला उत्पादक और 228,861 (1 अप्रैल, 2024 तक) की जनशक्ति के साथ सबसे बड़े कॉर्पोरेट नियोक्ता में से एक है। सीआईएल भारत के आठ (8) राज्यों में विस्तृत 84 खनन क्षेत्रों में अपनी अनुषंगी कंपनियों के माध्यम से कार्य करती है। कोल इण्डिया लिमिटेड की 313 (1 अप्रैल 2024 तक) खदानें हैं जिनमें से 131 भूमिगत, 168 खुली खदानें और 14 मिश्रित खदानें हैं और यह कार्यशालाओं, अस्पतालों आदि जैसे अन्य संस्थानों का भी प्रबंधन करती है। सी.आई.एल. में 21 प्रशिक्षण संस्थान और 76 व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्र हैं। भारतीय कोयला प्रबंधन संस्थान (आई.आई.सी.एम.) एक अत्याधुनिक प्रबंधन प्रशिक्षण 'उत्कृष्टता केंद्र' के रूप में - भारत में सबसे बड़ा कॉर्पोरेट प्रशिक्षण संस्थान – सी.आई.एल. के अधीन संचालित होता है जो बहु-विषयक कार्यक्रम संचालित करता है।

सीआईएल एक महारत्न कंपनी - राज्य के स्वामित्व वाले उद्यमों का परिचालन विस्तार एवं वैश्विक दिग्गज के रूप में उभरने हेतु भारत सरकार द्वारा विशेषाधिकार प्राप्त निकाय है। यह देश के तीन सौ से अधिक केंद्रीय सार्वजनिक उद्यमों की श्रेणी में शामिल कुछ चुनिंदा दस उद्यमों मे से एक है।

सीआईएल की पूर्ण स्वामित्व वाली बारह भारतीय अनुषंगी कंपनियां, जिसमें ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (ईसीएल), भारत कोकिंग कोल लिमिटेड (बीसीसीएल), सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड (सीसीएल), वेस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (डब्ल्यूसीएल), साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल), नॉर्दर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एनसीएल), महानदी कोलफील्ड्स लिमिटेड (एमसीएल), सेंट्रल माइन प्लानिंग एंड डिजाइन इंस्टीट्यूट लिमिटेड (सीएमपीडीआईएल), गैर-पारंपरिक/स्वच्छ और नवकरणीय ऊर्जा के विकास के लिए सीआईएल नवकरणीय ऊर्जा लिमिटेड तथा सौर फोटोवोल्टिक मॉड्यूल के विकास के लिए सीआईएल सोलर पीवी लिमिटेड तथा भारत कोल गैसीफिकेशन एंड केमिकल्स लिमिटेड प्रचालनरत है। सीआईएल की मोजाम्बिक में कोल इण्डिया अफ्रीकाना लिमिटाडा (सीआईएएल) नामक एक विदेशी अनुषंगी कंपनी है। इसके अलावा सीआईएल की पांच संयुक्त उद्यम कंपनियां - हिंदुस्तान उर्वरक और रसायन लिमिटेड, तालचेर फर्टिलाइजर्स लिमिटेड, सीआईएल एनटीपीसी ऊर्जा प्राइवेट लिमिटेड, कोल लिग्नाइट ऊर्जा विकास प्राइवेट लिमिटेड और इंटरनेशनल कोल वेंचर प्राइवेट लिमिटेड हैं ।

असम की खदानों अर्थात नॉर्थ ईस्टर्न कोलफील्ड्स (एनईसी) का प्रबंधन प्रत्यक्ष रुप से सीआईएल द्वारा किया जाता है।

अतुलनीय कार्यनीति प्रासंगिकता:

सीआईएल देश मे उत्पादित कुल कोयला उत्पादन का 85% तथा कोयला आधारित कुल उत्पादन का 75% योगदान देता है। सीआईएल कुल बिजली उत्पादन में 55% का योगदान देता है और देश की प्राथमिक वाणिज्यिक ऊर्जा आवश्यकताओं में 40% की आपूर्ति करता है। गेवरा, एसईसीएल में एशिया की सबसे बड़ी ओपनकास्ट कोयला खदान संचालित होती है। "मेक इन इण्डिया" तथा भारत को विश्व स्तर पर मजबूत प्रतिस्पर्धी बनाने में सीआईएल महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है ।

उत्पादन और विकास:

सीआईएल ने 10% की वृद्धि दर्ज करते हुए 773.65 मिलियन टन के उत्पादन आंकड़े के साथ वर्षांत किया है। यह पहला मौका है जब कंपनी ने अपनी स्थापना के बाद से दोहरे अंकों में वृद्धि दर्ज की है। 2022-23 के 694.7 मिलियन टन को पार करते हुए 753.5 मिलियन टन की कुल कोयला आपूर्ति में 8.5% की वृद्धि दर्ज की गई और 1658.62 मिलियन क्यू. मीटर पर रिकॉर्ड ओवरबर्डन रिमूवल (ओबीआर) में 19% की वृद्धि दर्ज की गई।

सीआईएल की सभी कोयला उत्पादक इकाइयों ने सकारात्मक वृद्धि दर्ज की, जिनमें से पांच बीसीसीएल, सीसीएल, एनसीएल, डब्ल्यूसीएल और एमसीएल ने लगातार दूसरे साल अपने-अपने वार्षिक लक्ष्य को पार किया है। ओडिशा स्थित सीआईएल की अनुषंगी कंपनी महानदी कोलफील्ड्स लिमिटेड 206.1 मिलियन टन उत्पादन के साथ 200 मिलियन टन को पार करने वाली देश की पहली कोयला उत्पादक कंपनी बनी है।

वर्ष 2023-24 के दौरान कच्चे कोयले का उठाव 2022-23 के दौरान 694.7 मिलियन टन की तुलना में 753.60 मिलियन टन (एमटी) के अपने उच्चतम स्तर पर रहा। वित्त वर्ष 2023 के 273.6 रेक/दिन की तुलना में वित्त वर्ष 2024 के दौरान प्रतिदिन 292.2 रेक की औसत लोडिंग के साथ 6.8% की वृद्धि दर्ज की गई।

परियोजनाएँ:

896 मिलियन टन प्रतिवर्ष की स्वीकृत क्षमता और 133576 करोड़ रुपये की स्वीकृत पूंजी वाली 119 कोयला परियोजनाएं कार्यान्वयन के विभिन्न चरणों में हैं। इन परियोजनाओं ने वित्त वर्ष 23-24 में 541 मिलियन टन कोयला उत्पादन में योगदान दिया है। वर्ष 2023-24 के दौरान सीआईएल और अनुषंगी कंपनी बोर्ड द्वारा 170.46 मिलियन टन प्रतिवर्ष की स्वीकृत क्षमता और 27087.69 करोड़ रुपये की स्वीकृत पूंजी वाली 16 खनन परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है। इन परियोजनाओं से सीआईएल का कोयला उत्पादन बढ़कर 1 बिलियन टन तक पहुंचने में अतिरिक्त योगदान मिलने की उम्मीद है।

उपभोक्ता संतुष्टि:

सीआईएल के लिए उपभोक्ता संतुष्टि एक प्राथमिकता वाला क्षेत्र रहा है जिसमें वृद्धि हेतु खदान से प्रेषण बिंदु तक कोयले के गुणवत्ता प्रबंधन पर विशेष जोर दिया गया है। सीआईएल के सभी उपभोक्ताओं के लिए स्वतंत्र तृतीय-पक्ष नमूना एजेंसियों के द्वारा गुणवत्ता मूल्यांकन का विकल्प खुला हुआ है। गुणवत्ता अनुरक्षण की दिशा में किए गए सजग तथा निरंतर उपायों के परिणामस्वरूप, कोयले के घोषित और विश्लेषित जीसीवी के भारित औसत के बीच का अंतर एक जीसीवी बैंड के भीतर है।

जमीनी स्तर पर लोगों के जीवन में परिवर्तन/बदलाव लाना

विश्व के अन्य देशों के विपरीत, भारत का कोयला भंडार ज्यादातर वन भूमि क्षेत्र और आदिवासी आबादी वाले क्षेत्रों में स्थित हैं। कोयला खनन करने के लिए लोगों को अनिवार्य रूप से विस्थापित करना पड़ता है, परंतु सीआईएल ने परियोजना से प्रभावित लोगों के लिए अच्छे से संरचित की गई पुनर्वास और पुनःस्थापन की नीति अपनाई है। कंपनी द्वारा ‘मानवीय आधार पर खनन' की प्रक्रिया को अपनाया गया है जिसमें सामाजिक रूप से स्थायी समावेशी विकास मॉडल के तहत आजीविका संबंधी निर्णय लेने की प्रक्रिया में परियोजना प्रभावित लोगों को हितधारक बनाया जाता है।

कॉर्पोरेट नागरिक:

सीआईएल सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में सबसे अधिक सीएसआर पर खर्च करने वालों में से एक है। कंपनी द्वारा किए गए सीएसआर गतिविधियों में शिक्षा, स्वास्थ्य सुरक्षा, महिला सशक्तिकरण, कौशल विकास, खेल आदि शामिल हैं। सीआईएल और इसकी अनुषंगी कंपनियों ने 2023-24 के दौरान सीएसआर गतिविधियों पर 572 करोड़ रुपये खर्च किए हैं।

कोयला परिष्करण

सीआईएल 2030 तक धातु की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए ब्लास्ट फर्नेस के माध्यम से क्रूड स्टील के निर्माण के लिए एक प्रमुख कच्चे माल, कोक के उत्पादन के लिए उपयोग किए जाने वाले एक दुर्लभ संसाधन, कोकिंग कोयले के परिष्करण के लिए अपनी क्षमता बढ़ाने की पहल कर रहा है।

सीआईएल 12 कोल वॉशरीज का संचालन करता है, जिनकी संयुक्त संचालन क्षमता 29.35 मिलियन टन प्रतिवर्ष है। इनमें से 10 कोकिंग कोल के लिए समर्पित हैं, जबकि शेष 2 गैर-कोकिंग कोयले के लिए हैं, जिनकी संचालन क्षमता क्रमशः 18.35 मिलियन टन प्रतिवर्ष और 11 मिलियन टन प्रतिवर्ष है। वित्त वर्ष 2023-24 में, मौजूदा कोकिंग कोल वॉशरीज़ से कुल धुले कोयले का उत्पादन लगभग 2.26 मिलियन टन था, जो 2022-23 से 4.8% की वृद्धि दर्शाता है।

पर्यावरण संरक्षण/ पर्यावरण प्रबंधन

कोयला खनन आमतौर पर प्राकृतिक संसाधनों के क्षरण से जुड़ा हुआ है तथा कोयला खनन से होने वाली पर्यावरणीय चुनौतियाँ एक ज्ञात तथ्य हैं। कोल इंडिया एक जिम्मेदार कॉर्पोरेट होने के नाते खनन के लिए एक समग्र दृष्टिकोण का पालन करते हुए सतत कोयला खनन प्रथाओं का पालन करता है। पर्यावरणीय प्रभावों में कमी लाने तथा इसके न्यूनीकरण के लिए एक वैचारिक ढांचा मौजूद है। पर्यावरणीय समस्याओं के समाधान के लिए लगातार ठोस प्रयास किए जाते हैं।

सीआईएल पर्यावरण के साथ समन्वय को प्रोत्साहित करने और व्यवहार्य कोयला खनन को आगे बढ़ाने के अपने दायित्व के प्रति सतत समर्पित है। कोल इंडिया द्वारा प्रतिवर्ष ओबी डंप, ढुलाई सड़कों, खदानों के आसपास, आवासीय कॉलोनियों और अन्य उपलब्ध भूमि पर व्यापक वृक्षारोपण कार्यक्रम चलाए जाते हैं। सीआईएल ने 2023-24 में खदान पट्टा क्षेत्र के अंदर और बाहर सहित 2167 हेक्टेयर में 44.40 लाख पौधे लगाए हैं, जिसमें वृक्षारोपण के क्षेत्र के संदर्भ में पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 34% की वृद्धि हुई है।

इसने स्थानीय पर्यटन को बढ़ावा देने और खनन क्षेत्रों में संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए पुनर्ग्रहण के हिस्से के रूप में इको-पार्कों का निर्माण भी किया है। कंपनी ने खनन भूमि पर पर्यटक सुविधाओं के साथ 32 इको पार्क विकसित किए हैं। वित्त वर्ष 2023-24 में सीआईएल की खदानों से निकलने वाले पानी से सीआईएल के खनन क्षेत्रों के आसपास के 857 गांवों के 11.62 लाख लोगों को लाभ हुआ है।

सीआईएल मुख्यालय ने 2022 में भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) से गुणवत्ता प्रबंधन, पर्यावरण प्रबंधन और ऊर्जा प्रबंधन प्रणाली के लिए क्रमशः आईएसओ 9001:2015, आईएसओ 14001:2015 और आईएसओ 50001:2018 का पुनः प्रमाणन प्राप्त किया, जिसकी वैधता अक्टूबर, 2025 तक है। 31 मार्च 2023 तक, ईसीएल, एनसीएल, एमसीएल, सीसीएल (27 इकाइयां) और डब्ल्यूसीएल (90 इकाइयां) एकीकृत प्रबंधन प्रणाली (आईएसओ 9001:2015, आईएसओ 14001:2015 और आईएसओ 45001:2018) के लिए प्रमाणित हैं। सीएमपीडीआई मुख्यालय और इसके सात क्षेत्रीय संस्थानों को आईएसओ 9001:2015 से प्रमाणित किया गया है। इसके अलावा, सीएमपीडीआईएल मुख्यालय, रांची को आईएसओ 37001:2016 (रिश्वत रोधी प्रबंधन प्रणाली) से प्रमाणित किया गया है।

ऊर्जा संरक्षण

ऊर्जा संरक्षण सीआईएल का एक प्राथमिकता वाला क्षेत्र है तथा विशिष्ट ऊर्जा खपत में कमी की दिशा में विभिन्न उपाय किए जाते हैं। खदान तथा भूमिगत खदानों मे विद्युत प्रकाश लाइट, स्ट्रीट लाइटिंग, कार्यालय और अन्य कार्यस्थलों, टाउनशिप आदि के लिए अधिकांश स्थानों में उच्च वाट क्षमता वाले प्रकाशमान / पारंपरिक प्रकाश फिटिंग को उचित वाट क्षमता के कम बिजली की खपत वाले एलईडी के साथ बदला गया है, इसके परिणामस्वरूप बिजली की खपत में भारी बचत हुई है, बिजली की खपत में सीआईएल की विभिन्न सहायक कंपनियों में 18626 उच्च ऊर्जा कुशल सुपर पंखे लगाए गए हैं। सीआईएल सहायक कंपनियों में विभिन्न स्थानों पर 625 ऊर्जा कुशल वॉटर हीटर स्थापित किए गए हैं, और सीआईएल सहायक कंपनियों में विभिन्न स्थानों पर स्ट्रीट लाइट में 1016 ऑटो टाइमर स्थापित किए गए हैं। सहायक कंपनियों के लगभग सभी क्षेत्रों ने उपयुक्त केवीएआर रेटिंग के कैपेसिटर बैंक स्थापित करके 2023-24 के दौरान पावर फैक्टर 0.90 से 0.99 बनाए रखा है।

ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोत के रूप में सौर ऊर्जा का प्रयोग करने हेतु विभिन्न कदम उठाए गए हैं जैसे कि किलो-वाट स्केल में रूफटॉप सोलर प्लांट सफल प्रचालनरत हैं। 2023-24 के दौरान अतिरिक्त 1.629 मेगावॉट रूफटॉप सौर क्षमता जोड़ी गई है।

अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में प्रवेश: परिचालनों से कार्बन उत्सर्जन में कमी लाना

सौर ऊर्जा उत्पादन:

सीआईएल की विभिन्न अनुषंगी कंपनियों की लगभग 82.68 मेगावाट सौर क्षमता है, जिसके परिणामस्वरूप आंतरिक खपत के लिए 20.219 मिलियन यूनिट का उत्पादन होता है। सीआईएल पूरे भारत में 2025-26 तक 3 गीगावॉट और 2029-30 तक 5 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा स्थापित करने की महत्वाकांक्षी योजना है।

कार्बन तटस्थता की उपलब्धि की ओर अग्रसर:

ऊर्जा दक्षता उपायों के कार्यान्वयन के परिणामस्वरूप, 2023-24 में लगभग 40.38 मिलियन यूनिट विद्युत ऊर्जा की बचत होगी, जिससे प्रति वर्ष लगभग 33,108 टन सीओ2 की कमी आएगी। 2023-24 में, उत्पादित कुल सौर ऊर्जा 202.19 लाख यूनिट थी। नतीजतन, सौर ऊर्जा उत्पादन से प्रति वर्ष लगभग 16,580 टन सीओ2 उत्सर्जन में कमी आई है।

एंटरप्राइज रिसोर्स प्लानिंग (ईआरपी):

एंटरप्राइज रिसोर्स प्लानिंग (ईआरपी) प्रणाली ने सीआईएल में सुदृढ़ता हासिल की है, जो उत्पादन डेटा, इन्वेंट्री प्रबंधन, उपकरण स्थिति, चालू प्रोजेक्ट अपडेट तथा कार्यबल विवरण सहित महत्वपूर्ण परिचालन जानकारी के लिए प्राथमिक भंडार के रूप में कार्यरत है।

ईआरपी डैशबोर्ड सूचित निर्णय लेने में सहायता के लिए वास्तविक समय की जानकारी प्रदान करता है और इसे इसके सात मॉड्यूल की अलर्ट कार्यक्षमताओं से समृद्ध किया गया है। ये अलर्ट महत्वपूर्ण मापदंडों के लिए प्रमुख प्रदर्शक संकेतकों (केपीआई) के आधार पर ईमेल सूचनाएं भेजते हैं, जिससे परिचालन दक्षता में वृद्धि होती है।

विविधीकरण कार्यनीति: रसायन एवं उर्वरक क्षेत्र तथा नवीन व्यवसाय कार्यक्षेत्र

कोल इंडिया लिमिटेड थर्मल पावर, सतह और भूमिगत कोयला गैसीकरण, महत्वपूर्ण खनिज, सौर परियोजनाओं और पंप भंडारण परियोजनाओं (पीएसपीएस) में विविधता ला रहा है।

परियोजना निगरानी में प्रणालीगत सुधार:

सीआईएल वर्तमान में खनन, वाशरी, निकासी परियोजनाएँ आदि से लेकर अन्य विभिन्न प्रकार की परियोजनाओं में कार्यरत है। ऐसी परियोजनाओं का सुचारू रूप से कार्य सुनिश्चित करने के लिए सीआईएल कई परिष्कृत परियोजना प्रबंधन तंत्रों के माध्यम से चल रही प्रगति की लगातार निगरानी कर रहा है।

सीआइएल की सुरक्षा नीति

सीआईएल के संचालन में सुरक्षा को प्रमुख महत्व दिया गया है जैसा कि सीआईएल के मिशन वक्तव्य में विवरित है। खदानों में सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सीआईएल में एक सुस्पष्ट सुरक्षा नीति है।

फर्स्ट माइल कनेक्टिविटी

कोल इंडिया की प्रमुख पहल, 'फर्स्ट माइल कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट्स' में 837.5 मिलियन टन प्रतिवर्ष की संयुक्त क्षमता वाली 75 चिन्हित परियोजनाएं शामिल हैं, जिनके चार चरणों में क्रियान्वयन के लिए लगभग 24,750 करोड़ रुपये के अनुमानित निवेश की आवश्यकता है। इन परियोजनाओं का उद्देश्य मशीनीकृत कोयला परिवहन और लोडिंग प्रणाली को बढ़ाना है।

इन एफएमसी परियोजनाओं से वित्त वर्ष 29-30 तक मशीनीकृत निकासी को 151 मिलियन टन प्रतिवर्ष से बढ़ाकर 988.5 मिलियन टन प्रतिवर्ष करने की उम्मीद है। सीआईएल को इन परियोजनाओं के कार्यान्वयन के माध्यम से कोयले की गुणवत्ता में सुधार, अंडर-लोडिंग शुल्क में बचत और सकारात्मक पर्यावरणीय प्रभाव की उम्मीद है।

भविष्य परिदृश्य

कोल इंडिया राष्ट्र की ऊर्जा सुरक्षा को प्राप्त करने में मुख्य भूमिका निभाने हेतु प्रतिबद्ध है तथा देश की कोयला मांग को पूरा करने के लिए वर्ष 2026-27 तक 1 बिलियन टन (बीटी) उत्पादन की परिकल्पना की है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, सीआईएल ने आवश्यक सभी संसाधनों को चिन्हित किया है, जिसमें मुख्य रुप से वे परियोजनाएँ शामिल हैं जो 1 बिलियन टन उत्पादन योजना में योगदान करेंगी। इसके अतिरिक्त, अपनी निवेश योजना के अनुरूप, सीआईएल सौर ऊर्जा, थर्मल पावर प्लांट, उर्वरक संयंत्रों के पुनरुद्धार, सतही कोयला गैसीकरण (एससीजी), और कोल बेड मीथेन (सीबीएम) सहित विविधीकरण परियोजनाओं के लिए फंड का एक महत्वपूर्ण हिस्सा आवंटित करने का विचार है।